रहीम के दोहे

अब्दुल रहीम खानखाना के प्रसिद्ध दोहों का संग्रह

रहीम के बारे में

अब्दुल रहीम खानखाना (1556-1627) मुगल बादशाह अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि थे। उनके दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

हस्ती अपनी होबाब की सी है

जीवन की नश्वरता पर दोहे

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हर ज़ोर-जुल्म की टक्कर में

सत्य और न्याय पर दोहे

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हे मातृभूमि

देश प्रेम पर दोहे

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हास्याष्टक

हास्य और व्यंग्य के दोहे

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प्रसिद्ध दोहे

"जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।"

रहीम

"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।"

रहीम