दस महाव्रत

जैन दर्शन के दस महाव्रतों का विस्तृत विवरण

जैन दर्शन के महाव्रत

जैन धर्म में दस महाव्रतों का विशेष महत्व है। ये व्रत जीवन को सार्थक बनाने और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक माने जाते हैं।

1. अहिंसा

किसी भी जीव को कष्ट न देना

सर्वप्रथम और सर्वोपरि व्रत
2. सत्य

सदैव सत्य बोलना

मिथ्या वचन से बचना
3. अस्तेय

चोरी न करना

दूसरे का धन न लेना
4. ब्रह्मचर्य

इंद्रियों पर नियंत्रण

काम वासना से दूर रहना
5. अपरिग्रह

संग्रह न करना

अनावश्यक वस्तुओं का त्याग
6. क्षमा

सबको क्षमा करना

द्वेष भावना का त्याग
7. मार्दव

नम्रता धारण करना

अहंकार का त्याग
8. आर्जव

सरलता धारण करना

कपट का त्याग
9. शौच

शुद्धता धारण करना

मन और शरीर की शुद्धि
10. तप

तपस्या करना

आत्मसंयम का अभ्यास
महाव्रतों का महत्व

ये दस महाव्रत जैन धर्म के मूल सिद्धांत हैं। इनका पालन करने से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बना सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।

  • अहिंसा सभी धर्मों का मूल सिद्धांत है
  • सत्य बोलने से मन शुद्ध होता है
  • अस्तेय से समाज में शांति आती है
  • ब्रह्मचर्य से शक्ति बढ़ती है
  • अपरिग्रह से मोह कम होता है