१.

खा गया पी गया

दे गया बुत्ता

ऐ सखि साजन?

ना सखि कुत्ता!

२.

लिपट लिपट के वा के सोई

छाती से छाती लगा के रोई

दांत से दांत बजे तो ताड़ा

ऐ सखि साजन? ना सखि जाड़ा!

३.

रात समय वह मेरे आवे

भोर भये वह घर उठि जावे

यह अचरज है सबसे न्यारा

ऐ सखि साजन? ना सखि तारा!

४.

नंगे पाँव फिरन नहिं देत

पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत

पाँव का चूमा लेत निपूता

ऐ सखि साजन? ना सखि जूता!

५.

ऊंची अटारी पलंग बिछायो

मैं सोई मेरे सिर पर आयो

खुल गई अंखियां भयी आनंद

ऐ सखि साजन? ना सखि चांद!

६.

जब माँगू तब जल भरि लावे

मेरे मन की तपन बुझावे

मन का भारी तन का छोटा

ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा!

७.

वो आवै तो शादी होय

उस बिन दूजा और न कोय

मीठे लागें वा के बोल

ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!

८.

बेर-बेर सोवतहिं जगावे

ना जागूँ तो काटे खावे

व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की

ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी!

९.

अति सुरंग है रंग रंगीले

है गुणवंत बहुत चटकीलो

राम भजन बिन कभी न सोता

ऐ सखि साजन? ना सखि तोता!

१०.

आप हिले और मोहे हिलाए

वा का हिलना मोए मन भाए

हिल हिल के वो हुआ निसंखा

ऐ सखि साजन? ना सखि पंखा!

११.

अर्ध निशा वह आया भौन

सुंदरता बरने कवि कौन

निरखत ही मन भयो अनंद

ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!

१२.

शोभा सदा बढ़ावन हारा

आँखिन से छिन होत न न्यारा

आठ पहर मेरो मनरंजन

ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन!

१३.

जीवन सब जग जासों कहै

वा बिनु नेक न धीरज रहै

हरै छिनक में हिय की पीर

ऐ सखि साजन? ना सखि नीर!

१४.

बिन आये सबहीं सुख भूले

आये ते अँग-अँग सब फूले

सीरी भई लगावत छाती

ऐ सखि साजन? ना सखि पाती!

१५.

सगरी रैन छतियां पर राख

रूप रंग सब वा का चाख

भोर भई जब दिया उतार

ऐ सखी साजन? ना सखि हार!

१६.

पड़ी थी मैं अचानक चढ़ आयो

जब उतरयो तो पसीनो आयो

सहम गई नहीं सकी पुकार

ऐ सखि साजन? ना सखि बुखार!

१७.

सेज पड़ी मोरे आंखों आए

डाल सेज मोहे मजा दिखाए

किस से कहूं अब मजा में अपना

ऐ सखि साजन? ना सखि सपना!

१८.

बखत बखत मोए वा की आस

रात दिना ऊ रहत मो पास

मेरे मन को सब करत है काम

ऐ सखि साजन? ना सखि राम!

साभार:http://hi.literature.wikia.com/